कुछ मुक्तक कुछ शेर {भाग षोडश (XVI)}
21. उम्र भर चलना रही आदत मेरी,मंज़िल पे ठहरने का हुनर नहीं आता है।
मुसाफिर हूँ मै भी मुसाफिर है तू भी मिलेंगे फिर किसी मोड़ पर मिलेंगे फिर किसी राह में।।
1 . पहले चुका दो मोल शहीदों कि क़ुरबानी का।
फिर बताना दाम अपनी जवानी का।।
2 . ताज़ भी बता देते हैं,पहचान सच्चे सरों कि यार।
तेरे ताज़ में हाँथ कि लकीरें,उसके ताज़ में पैर कि बवाईआं हैं यार।।
3 . दशहरी लंगड़ा चौसा सफ़ेदा ढूंढ रहा हूँ इन में आजकल।
जबसे "बेआम" आम होगये,शहर में आम नज़र नहीं आते।।
4 . या तो अश्के मुहब्बत है या तो मुश्के मोहब्बत है।
कोई कहता था शहर में मोहब्बत ही मोहब्बत है।।
5 . कोई ठुकराके रोया कोई अपना के रोया।
दीवारे मोहब्ब्त है,जो भी रोया बहुत देर तक रोया।।
6 . खुदा ढूंढ रहा था रुकने का ठिकाना।
जब मिला तो काफिर के दिल में मिला रुकने का ठिकाना।।
7 . सांप को दूध पिलाना,बहुत देख भाल के।
ये गलती शहरे हिन्दुस्ता कर के समझा है।।
8 . देखता है दूसरों कि बारीक गल्तिआं बहुत गौर से।
ये बात और है,देखता है चोरी के चस्मे से।।
9 . ज़िंदगी को ही सिखाना था,ज़िंदगी ने सिखा दिया अपने पराये का सलीका।
सबका एहतराम तो करता हूँ सबपे ऐतबार नहीं करता।।
10. आ रही है ख़ुशबू वतन कि उसके नाम के ही ज़िक्र से।
सामने होगा जब,लिपट के उसके ही हो जाओगे।।
11. जब सर पे था मेरे तो कोई भी नहीं था साथ।
साये भी निकलते हैं रुख सूरज का देख के।।
12. कितने भी बदल जाओ तुम,यहाँ बना लो कोई नया रिश्ता,मगर।
इस शहर के वही फलसफे पुराने हैं,वही किस्से पुराने हैं।।
13. ये शहर चुप रहने कि अक्सर सज़ा पाता है।
कभी कातिल कभी हुक्मरां के हांथों मौत पाता है।।
14. बारिश नक़ाब तो पुरवाई पुरानी चोट उभार रही है यहाँ।
इस शहरे दिल्ली में तमाशे और तमाशेबाज बहुत आ गए हैं यारों।।
15. अजीब बेशर्म हुक्मरान है यार तू जब भी शहर को ज़रुरत होती है तेरी।
तू शहर कि सांस रोकने सड़कों पे बैठ जाता है।।
16. शहर ने झुकने की आदत डाल ली जबसे।
शौख नवाबों के पाल लिए हुक्मरानो ने।।
17. उसका रास्ता होता है,लोगों के चलने के लिए।
तेरा रास्ता एक दिन तुझको ही मिटा देगा पगले।।
18. लोग परेशां थे दिखाने को उसे नए नए रास्ते।
और एक वो था जो अपनी धुन में मस्त बना रहा था अपना ही रास्ता।।
19. बचपन भी अजीब होता है,फेंक के सोने कि गिन्नी।
दिन भर मट्टी के खिलोने से लड़ता रहता है।।
20. शेर कुछ पिछले भी बहुत अच्छे थे ।
अब समझ में नही आए ये और बात है।।
धन्यवाद,
अरुण कुमार तिवारी
very very nice ,, always like what u write ,,
ReplyDeleteThanks Didi
ReplyDeletesunder sunder sunder bhayee
ReplyDeleteuttam uttam uttam bhayee
wah bhayee wah