गीत
चली मैं पिया की नगरिया मेरे राम।।
सजना के घर से आई रे खबरिया
चली मैं पिया की नगरिया मेरे राम।
ओढ़े थोड़ी उजली थोड़ी मैली चदरिया
चली मैं पिया की नगरिया मेरे राम।।
करिहैं श्रृंगार मोरा मिल के अपने
छीड़कत रहियें इतरिया,
चली मैं पिया की नगरिया मेरे राम।।
चार कहांर कांधे लिए हैं
भैया लिए चले आगे गगरिया,
चली मैं पिया की नगरिया मेरे राम।।
चार दिन सब खेल में बीते
चारो पहर ढोते पाप की गठरिया,
चली मैं पिया की नगरिया मेरे राम।।
लकड़ी सजाय बनाया पलंग मोरा
मोहे लिटाये दिनों रे सेजरिया,
चली मैं पिया की नगरिया मेरे राम।।
चुनिहैं फूल ढूंढीहै कल पांच हड्डी
जो फोड़ीहै आज मोर कपरिया,
चली मैं पिया की नगरिया मेरे राम।।
अब क्या होवे पछता के,का होइ धूनी रमा के
ज़िंदगी भर रहा मन करिया का करिया,
चली मैं पिया की नगरिया मेरे राम।।
सजना के घर से आई रे खबरिया
चली मैं पिया की नगरिया मेरे राम।
ओढ़े थोड़ी उजली थोड़ी मैली चदरिया
चली मैं पिया की नगरिया मेरे राम।।
धन्यवाद,
अरुण कुमार तिवारी
good
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