Tuesday, August 20, 2013

Atma shatkam / Nirvana Shatkam


आत्मषट्कम् / निर्वाणषट्कम्

Atma shatkam / Nirvana Shatkam

"Nirvana" is complete equanimity, peace, tranquility, freedom and joy. "Atma" is the True Self.




मनोबुद्धयहंकार चित्तानि नाहं,
न च श्रोत्रजिव्हे न च घ्राणनेत्रे ।
 न च व्योम भूमिर्न तेजो न वायुः,
 चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। 1 ।। 

Mano Buddhi Ahankara Chitta Ninaham
Nacha Shrotra Jihve Na Cha Ghrana Netre
Nacha Vyoma Bhoomir Na Tejo Na Vayu
Chidananda Rupa Shivoham Shivoham


मै  न तो मन हूँ ,न अहंकार ,न ही चित्त  हूँ
मै  न तो कान हूँ ,न जीभ ,न नासिका ,न ही नेत्र  हूँ
मै  न तो आकाश हूँ ,न धरती ,न अग्नि  ,न ही वायु  हूँ 
मै तो मात्र शुद्ध चेतना हूँ ,अनादी ,अनंत हूँ ,अमर हूँ 

I am not mind, nor intellect, nor ego, 
nor the reflections of inner self.
I am not the five senses, beyond that I am.
I am not the five elements: neither ether, 
nor earth, wind, or fire. 
I am indeed That eternal knowing and bliss, 
eternal love, pure consciousness.
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न च प्राणसंज्ञो न वै पंचवायुः, 
न वा सप्तधातुः न वा पञ्चकोशः । 
न वाक्पाणिपादं न चोपस्थपायु,
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। 2 ।।


Na Cha Prana Samjno Na Vai Pancha Vayu
Na Va Saptadhatur Na Va Pancha Koshah
Na Vak Pani Padau Na Chopastha Payu
Chidananda Rupa Shivoham Shivoham

मैं न प्राण चेतना हूँ ,न ही शरीर को चलने वाली पञ्च वायु 
मैं न शरीर का निर्माण करने वाला सात धातु हूँ ,न ही शरीर की पञ्च कोशिकाए 
मै  न तो वाणी हूँ ,न हाँथ ,न पैर ,न ही विसर्जन की इन्द्रिया हूँ 
मै तो मात्र शुद्ध चेतना हूँ ,अनादी ,अनंत हूँ ,अमर हूँ 


Neither can I be named as energy alone,
nor the five types of breath, 
nor the seven material essences,
nor the five coverings.
Neither am I the five instruments of elimination,
procreation, motion, grasping, or speaking.
I am indeed That eternal knowing and bliss
unchanging love, one consciousness.
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न मे द्वेषरागौ न मे लोभमोहौ,
मदो नैव मे नैव मात्सर्यभावः ।
न धर्मो न चार्थो न कामो न मोक्षः,
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। 3 ।।

Na Me Dvesha Ragau Na Me Lobha Mohau

Mado Naiva Me Naiva Matsarya Bhavah
Na Dharmo Na Chartho Na Kamo Na Mokshah
Chidananda Rupa Shivoham Shivoham


न मुझे किसी से वैर है.न किसी से प्रेम,न मुझे लोभ है, न मोह है
न मुझे अभिमान है,न इर्षा है
मै धर्म ,धन,लालसा एव मोक्श से परे हूँ  
मै तो मात्र शुद्ध चेतना हूँ ,अनादी ,अनंत हूँ ,अमर हूँ 

I have no hatred or dislike, 
nor affiliation or liking, 
nor greed,nor delusion, 
nor pride or haughtiness, 
nor feelings of envy or jealousy. 
I have no care, nor any wealth,
nor any desire I am, 
nor even liberation. 
I am indeed That eternal knowing and bliss,
boundless love, pure awareness.
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न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दुःखं,
न मन्त्रो न तीर्थो न वेदा न यज्ञ ।
अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता,
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। 4 ।।


Na Punyam Na Papam Na Saukhyam Na Dukham
Na Mantro Na Teertham Na Vedo Na Yajnaha
Aham Bhojanam Naiva Bhojyam Na Bhokta
Chidananda Rupa Shivoham Shivoham

मैं पुण्य,पाप,सुख और दुःख से विलग हूँ
न मैं मंत्र,न तीर्थ,न ज्ञान,न ही यज्ञ हूँ
न मैं भोजन,न ही भोगने योग्य और न ही भोक्ता हूँ
मै तो मात्र शुद्ध चेतना हूँ ,अनादी ,अनंत हूँ ,अमर हूँ 

I have neither merit, nor demerit
I am not bound by sins or good deeds,
nor by happiness or sorrow,
not pain or pleasure.
I am free from mantras, holy places,
scriptures, rituals or sacrifices.
I am none of the triad of
observer, act of observing or the object itself.
I am indeed, That eternal knowing and bliss, Shiva,
pure love, flawless consciousness.
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न मे मृत्युशंका न मे जातिभेदः,
पिता नैव मे नैव माता न जन्मः ।
न बन्धुर्न मित्रं गुरूर्नैव शिष्यः,
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। 5 ।। 

Na Me Mrityu Shanka Na Me Jati Bhedah
Pita Naiva Me Naiva Mata Na Janma
Na Bandhur Na Mitram Gurur Naiva Shishyah
Chidananda Rupa Shivoham Shivoham


न मुझे मृत्यु का डर है,न जाती का भय 
मेरा न कोई पिता है न माता है,न ही कभी मै जन्मा था 
मेरा न कोई भाई है ,न मित्र ,न गुरु ,न शिष्य 
मै तो मात्र शुद्ध चेतना हूँ ,अनादी ,अनंत हूँ ,अमर हूँ  



No fear of death I have,
I have no separation from my true self, 
no doubt about my existence, 
nor have I discrimination on the basis of birth.
I have no father or mother, nor did I have a birth. 
I am not the relative, nor the friend, 
nor the guru, nor the disciple. 
I am indeed, That eternal knowing and bliss, 
immaculate love, fully awake.
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अहं निर्विकल्पो निराकार रूपो,
विभुत्वाच सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम् ।
 न चासङत नैव मुक्तिर्न मेयः,
चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।। 6 ।। 

Aham Nirvikalpo Nirakara Roopaha
Vibhutvacha sarvatra sarveṃdriyaṇaṃ
Na chasangata naiva muktir na meyaḥ
Chidananda Rupa Shivoham Shivoham

मैं निर्विकल्प हूँ ,निराकार हूँ 
मैं विचार विमुक्त हूँ  और सर्व इन्द्रियों से पृथक हूँ 
मैं न कल्पनीय हूँ ,न आसक्ति हूँ,और न ही मुक्ति हूँ 
मै तो मात्र शुद्ध चेतना हूँ ,अनादी ,अनंत हूँ ,अमर हूँ  

I am all embracing,
without any attributes, without any form.
I have neither attachment to the world,
nor to liberation.
I have no wishes for anything
because I am everything,
everywhere, every time,
always in equilibrium.
I am indeed, That eternal knowing and bliss,
That unfathomable grace.



 ॐ नमः शिवाय 

धन्यवाद 
अरुण कुमार तिवारी 

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