ये दौर जिंदगी में फिर आये न आये;
क्या पता।
ये लम्हा जो है ख़ुशी का फिर आये न आये,
क्या पता।।
आंसूं भी गर बहे तो बहे गैरों के दर्द पर।
मरने के बाद कब्र पर मेरी कोई दो आंसूं बहाए न बहाए
क्या पता।।
सब को मिल जायें दोनों जहाँ की खुशियां।
मुझको फलक के तारे मिलें न मिलें
क्या पता।।
तुम बनके सूरज चमकना जहान में।
मेरे नसीब में दिए की भी रौशनी आये न आये
क्या पता।।
तुम पूरा करके सफ़र पहुँच जाओ अपनी मंज़िल पे।
मेरी टूटी नैया को साहिल मिले न मिले
क्या पता।।
आज तनहा हूँ तो शायद ये कह पाया हूँ।
दिल में फिर कुछ कहने की आरज़ू आये न आये
क्या पता।।
दर्द आज गीत बनके निकलना चाहता है जहान में।
अब कंठ मेरा साथ दे न दे
क्या पता।।
आज जाम नहीं उठा रहा हूँ,तेरी कसम याद है ।
अब कल कोई कसम याद रहे न रहे
क्या पता।।
तुम ढूंड लेना मुझसे अच्छा साथी कोई ।
मेरी सांसों की डोर अब रहे न रहे
क्या पता।।
धन्यवाद,
अरुण कुमार तिवारी
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