Tuesday, April 16, 2013

माया महा ठगनी हम जानी




माया महा ठगनी हम जानी,
तिरगुन फांस लिए कर डोरे,बोले मधुरी वाणी,
माया महा ठगनी हम जानी,

कांग्रेस के गद्दारी होई बैठी,आआप के बेईमानी।
भाजपा के बेवकूफी होई बैठी,नितेश के ललचानी।।
कम्युनिस्ट के देशद्रोह होई बैठी,माया गई पग्लानी।
मुलायम के मुल्लाटोपी होई बैठि,जाया की मर गई नानी।।

अब्दुल्ला के हरामखोरी होई बैठी,करुना के लिट्टे रानी।।
पवार पे पगला होई बैठी,लालू के गर्ध्भानी।।
कह रहा हूँ जूता हाँथ में रख लो,
जल्द मिलेंगे खाने वाले कुछ प्राणी।।

माया महा ठगनी हम जानी।।