Thursday, September 26, 2013

कुछ मुक्तक कुछ शेर {भाग आठ(VIII)}


अरुण कुमार तिवारी 


२१.  हम तो खाक हैं,शायर तो और है ।
      हम महज़ एक कतऱा हैं सागर तो और हैं।।  

१.   समुन्दर का जल उस पल मीठा जरूर हो जाता होगा।
      जिस पल लाती है नदी उसमे किसी शहीदे वतन का पैगाम।।  

२.   चन्दन की महक आने लगी है इन्न बासी फूलों से।
      ये मज़ार शहीद की है किसी शहनशाह या खुदा की नहीं।।

३.   जियो तो इस कदर कि,मौत को फक्र हो तुम पर । 
      मरो तो इस शान से कि जिंदगी को भी अफसोस न होने पाए।।

४.   हम लफ़्ज़ों के हेर फेर में जिन्दगी को बयां न कर पाए।
      वो आये सादगी से ख़ामोशी से जिनगी को बयां कर चले।।

५.   हर तरफ एक शोक सा छाया है।
      इंसान इंसानियत से कितना दूर चला आया है।।

६.    कुछ फलसफे होते हैं,कुछ फ़साने होते हैं।
       तनहा रहने के सबके अपने-अपने बहाने होते हैं ।।

७.   पैस को बाँटने वालों,किस्मत को भी क्या बाँट पाओगे।
      ज़मीन का मोल तो दे दोगे,आसमान का मोल क्या लगाओगे।।

८.   तू सर की कीमत दर से लगा,मैं दर की कीमत सर से लगाता हूँ।
       जा झुका हर दर पे सर अपना,मै दर देख कर सर झुकता हूँ।।

९.    राम यूँही राम नहीं कहलाये,स्वाद किसी ने राजभोग़ का पुछा।
       आँख में नीर लिए सबरी के बेर का गुण गान करने लगे।।

१०.  कुछ तसवीरें आज भी अहसास करा देती है।
      बहुत चले हैं पर बहुत चलना है अभी सहर के लिए।।

११.  कितना भी उम्र् दराज़ हो जाये इस कौम का आदमी।
       मोहम्मद बड़ा होने नहीं देता,मौलवी इंसान बन्ने नहीं देगा।।

१२.  बस इसी अहसास ने उस गरीब बाप को बूढ़ा होने न दिया।
       घर में खाने को कुछ नहीं,जवान बेटी कुंवारी बैठी है।। 

१३.  जब तेरे वजूद को मिटाना उसकी मजबूरी बन जाये।
       तो जान लेना तमाम उम्र तू उसूलों पे जिया।।

१४. सारी रात चाँद लोरी सुनाएगा चांदनी सहलाएगी तुझे।
      तडपती धुप में किसि मजबूर के लिए नंगे पैर चलके तो देख।।

१५. कबतक एक ही सवाल पूछते रहोगे,जवाब एक ही देता रहूँगा।
      बहुत दूर नहीं है दिन,सवाल बदल जाएंगे तेरे,मेरा भी जवाब तू ही दे रहा होगा।।

१६. कर रहे गुरबानी का अनादर ये दो सरदार।
      उठ जाग वे जठठा माफ़ न कर इनको इस बार।।

१७. साधू की गति साधू वाली,गति नीच की नीच।
       हो उपवन या हो जीवन सही खाद,स्वच्छ नीर से सींच।।

१८. बदलाव नियम है श्रृष्टि का। 
      जो न बदले वो जड़ हो जाता है।।

१९. अपनी मंज़िल खुद चुनो,अपना रास्ता खुद ही तलाश करो।
      ये ज़िन्दगी नहीं मिलेगी दोबारा,लकीर के फ़कीर बनके इसे न बर्बाद करो।।

२०. कोई आम आदमी का,कोई आम आदमी को मज़ाक बना रहा है यहाँ।
      अपना घर सवारने के लिए कितना करतब किया जा रहा है यहाँ ।।


धन्यवाद,
अरुण कुमार तिवारी 

Friday, September 20, 2013

SLOGAN For BJP 2014 (1)

SLOGAN For BJP 2014 (1)




1.   "बहुत हो चुका अब तक अपमान अब बदला लेंगे जवान" 

2. "हिन्दुओं बहुत हो गया जोश से,इस बार मतदान करो होश से"

3. "देशवासिओं बहुत हो गया जोश से,इस बार मतदान करो होश से"

4. "हक़ मांगेगे नहीं छीनेगे,अब ऐसे ही जियेंगे"

5. "लड़ाई नहीं सत्ता के लिए,लड़ाई है माँ बहनों की रक्षा के लिए"

6. "न झुकेंगे न झुकने देंगे,बहुत हो चूका धरती माँ का अपमान,इस बार न ऐसा होने देंगे"

7. "गुजरात महज़ एक खाका है देश को स्वर्ग बनाने का"

8. "समझ चुके हैं हम इस बार,बंटेंगे नहीं जात पात में इस बार"

9. "जाग चूका है देश आज,अखंड भारत बनाने को,देशभक्त मोदी को लेन को"

10. "सैनिकों के सर नहीं, देनेकों उनके सरों को ताज,सब मिलकर लायेंगे बीजेपी का राज़"

11. "देने को खुशाली हर घर की मुंडेरों को,उखाड़ फैंको धूर्त लूटेरों को"

12. "दिल्ली की आज़ादी को,बाहर फैंको शीला दादी को"

13. "पंजा हो गया खुनी अब,खिलेगा देश में कमल अब"

14. "माँ भारती को विदेशी और देश्द्रोहिओं से आज़ाद करो,कमल को देश में आबाद करो"

15. "देश में अमन ही अमन होगा,जब देश में कमल ही कमल होगा"


धन्यवाद,

अरुण कुमार तिवारी 





Saturday, September 14, 2013

कुछ मुक्तक कुछ शेर {भाग सात(VII)}


अरुण कुमार तिवारी 





21.दुशमन भी बहुत,आशायें भी बहुत,
    सामने समर भयंकर है,आगे राह कठिन होगी।
    ध्रिड संकल्प लिए चलना,
    निश्चित ही तेरी विजय होगी।।


1 .जिंदा हो सो जगा रहाँ हूँ तुम्हे,परेशां हो तो बस एक बार।
   अपने मरने का सबूत दे देना नहीं आऊंगा फिर जगाने के लिए।।

2 .दीवारे मज्जिद पर लिखा था "काफ़िर का आना बंद है"।
    और फिर खुदा अपना रास्ता बदल के चला गया यारों।।

3 .बहुत दिन तक नहीं चलेगी सियासत जान लो मौलवी।
    कभी तो टोपियों के नीचे दिमाग तिलमिला के जाग जायेगा।।

4 .रोटी रोटी को तरस रहा आदमी,रोटी रोटी को फैंके हुए आदमी।।
    जिन्दा है फिर भी मर चूका आदमी,मरके भी तो जिंदा रहा आदमी।।

5 .कभी गर्म हवाओं ने रोका,कभी शर्द फ़िज़ाओं ने रोका।
    हार गए जब ये सब तो,फिर तेरी निगाहों ने रोका।।

6 .मौत के डर से सर बचाने की वो कीमत अदा करनी पड़ी।
    हर गली,हर मोड़,हर राह,हर दर्र पे सर झुकाना पड़ा है यारों।।

7 .फिर खो गए अरमान मेरे मेरी ही परछाईयों में।
    फिर ढूँढने निकला हूँ खुद को खुद के वजूद में ।।

8 .खुद को देखा नहीं महसूस किया जाता है।
    मै को मै  आज़ाद किया जाता है।। 

9 .हर एक सर की कुछ न कुछ कीमत लगाई थी उसने।
    इस तरह से दुश्मनों की वफादारी पाई थी उसने।।

10.जहान में जब कभी भी दर्द बयाँ करता है दर्द को। 
     दर्द फिर खुद दर्द की कहानी बयां कर देता है यारों ।।

11.एक दो दिन की बात नहीं उम्र गुज़र जाती है। 
     मकान को घर,आदमी को इंसान बनाने में।।

12.तुरक न छोड़े तुरकई,हिन्दू छोड़ चुका अपनी पहचान । 
     बहुत दिनों की बात नहीं,जब मिटेगा तेरा नामोंनिशान।।

13.आपका व्यव्हार गवाही देता है,आपके आम आदमी होने की।
     टोपियाँ पहन के,हुलिया बदल के कोई आम आदमी नहीं बनता।।

14.बेहूदा बातें घूमती रहती हैं बाज़ारों में। 
     अच्छी बातों के कदरदान नहीं मिलते बाज़ारों में।।

15.मांगता रहा ताउम्र वो औरों के लिए ही यारों।
     उसका दिल देखो कटोरा न देखो उसका यारों।।

16.कुछ तो बदला है ज़माने की रुसवाइयों ने। 
     मै लिखता कुछ और हूँ तू समझता कुछ और है।।

17.ये जिंदगी है,कोई खेल नहीं बस इतना जान लो यारों।
     हर मंजिल बस एक पड़ाव है दूसरी मंजिल का यहाँ पर।।

18.न पूँछ मुझसे दर्द छालों में है कितना।
     मंज़िल पे पहुँच के छाले आवाज़ नहीं करते।।

19.एक अनजानी अनदेखी ख़ुशी की तलाश में। 
     तमाम उम्र काट दी एक अजनबी की तलाश में।।

20.अपने संस्कारों से हटने की कीमत चुकाने लगे हैं लोग।
     जिल्द से किताब,चेहरे से इंसान की पहचान बताने लगे हैं लोग।।


धन्यवाद,
अरुण कुमार तिवारी 

Thursday, September 12, 2013

No values or culture can remain alive unless it is not in practice


No values or culture can remain alive unless it is not in practice.
:Chanakya










The reason for YOUR destruction/demise is YOURSELF.
The reason for OUR destruction/demise is OURSELF.

No values or culture can remain alive unless it is not in practice.

These are liars – the ones who say the reason for loss/destruction of their faith is due to the growth/raise of other faiths/cultures. Faith was yours, how can it be destroyed? And if your faith doesn’t have the support of TRUTH then it SHOULD FAIL.

Your path could be different, his path could be different – there can be many paths to reach the TRUTH. Thus it is incorrect to assume that those who are not on my path are on incorrect path.

“Ekam sat viprah bahuda vadanti” (hymn from the Rig Veda I.164.46)
One truth is told/expressed by the learned in many ways. Faiths/Traditions/Cultures can be paths, but NOT GOAL.

In between the practitioner (one who treads the path of spirituality) & practiced lies Sadhana (a means of accomplishing something or more specifically spiritual practice).

Sadhana is a path too. This can be different too. The followers of the same (single) culture can have different sadhana(s). So due to difference in Sadhana or by difference in traditions our cultures cannot be different.

Culture is the TRUE value of LIFE. Life has a principle/law/rule of which we are all followers. We have faith in Life, this is our belief (our faith), this is our culture. The one which has (is) deviated from TRUTH, that is not acceptable to us, this is our principle, this is our Law. And it is this culture which gives us different paths to get to the Lord.

There is no conflict between one path and another path as long as they are with the TRUTH. So, if somebody is on a different path from you – do not worry, do not be disturbed – keep your faith, respect your values and periodically assess them.

In the light of TRUTH see and examine your traditions and culture. As long as you protect the TRUTH, Culture will protect you – this is a simple aspect which can easily be understood.

Today, if you are feeling insecure – the reason is not external – it is within. When you leave the path of TRUTH which other way do you leave for yourself (is there an option for yourself?)? This is the reason for your destruction/demise and this is the reason for the destruction of the society.

Instead of accepting the challenge – you ingrain hatred, challenge others. If you have immense faith in the path and values of TRUTH – then show that by living it. Your action can be your history and you have a right to make your history.


If you are capable show that in action, show that in your life, provide examples, be an example – who has stopped you? TELL….. GO AHEAD….