Thursday, February 28, 2013

कुछ मुक्तक कुछ शेर {भाग दो(II)}

  कुछ मुक्तक कुछ शेर {भाग दो(II)}  
  (अरुण कुमार तिवारी)



31. मैं जगा रहा हूँ,तुझे सोने की आदत है।
      तुझे तेरी नींद मुबारख,मुझे धरा का क़र्ज़ अदा करना है।



1. ये शहर मर जाता है हर मौत से पहले।
    इस शहर में अब मौत का चर्चा नहीं होता।।

2. बदल दोगे दुनिया को एक दिन।
    शर्त बस इतनी है पहले खुद को बदलना सीखो।।

3. न आज़मा तू फिर से मुझे।
    आज आँखों में मेरी खून उतर आया है।।

4. तुम्हारे हर सवाल का जवाब दे सकता हूँ अभी।
    पर क्या करूँ तुम्हारी हद तक गिर नहीं पाता कभी।।

5. मुझको बेईमान कह के पत्थर मारने वालों।
    क्या करोगे कल जब ज़माना मेरे ईमान की कसम खायेगा।।

6. बहुत दूर नहीं बस अपने ही गाँव चले आओं परिंदों।
    भूंख किताबों में नहीं,आज भी बिन चादर के सोती है यहाँ।।

7. मिट गईं जब हाथों की लकीरें।
     तकदीरें हाथों से सवरना आ गया मुझको।।

8. फिर आज गुलाब महंगा हो जायेगा।
    कल फिर कांटे पैरों में चुभ जायेंगे।।

9. दुश्मनी करना फितरत नहीं मेरी,फिर भी दुश्मन रखता हूँ मैं।
    क़त्ल करना आदत नहीं मेरी,फिर भी हाथों में कलम रखता हूँ मैं।।

10. सही वक्त आएगा तब निकाल लेना।
      गुस्से को बेवक्त जाया नहीं किया करते।।

11. आदत होगई उसे हर दर पे सर झुकाने की।
      उसका सर अब सर कहने के काबिल न रहा।।

12. नापके फिर तौलके ,फिर नापके फिर तौलके।
      जब भी बोलना पड़े तो ऐसे ही बोलिए।।

13. धोखा दिए बगैर भी जा सकता था तू।
      धोखा देके क्या तुझे खुदा मिल गया।।

14. बुनियाद जरूरी है हर मकाँ के लिए।
      दीवारों से आशियन खड़े नहीं होते।।

15. जिन्हें नाज़ था अपने तख्तो ताज पे,कब्र में आज अकेले पड़े हैं वो।
      उम्र गुजरी जिनकी दिया बनने में ,आज दिलों में रहते हैं वो।।

16. नशे में हूँ पर मुझे शराबी न समझ।
     दिल में रहता है वो मेरे मुझे सन्यासी न समझ।।

17. गिन के साल जिन्दगी की लम्बाई न नाप।
       जिन्दगी लम्हों की भी सदिओं सी जी जा सकती है।।

18. जानता हूँ जगाने चलां हूँ मुर्दों को,पर ये जगे तो भूत बन जायेंगे।
      बेगैरत सरकार को रात दिन जगायेंगे।।

19. ठण्ड कुछ कम लगने लगी उसी पल ,
     जब देखा एक माँ और उसके बच्चे को बिना स्वेटर के मजदूरी करते हुए।

20. सियासतदान गुनेह्गारों के कद्रदान होने लगे।
      जनता अब गुनाहगार लगने लगी।।

21. सुख दुःख ,गम ख़ुशी,पाना खोना सब ऒस की बूंदों से लगने लगेगे।
      जब ओढ़ चदरिया जायेगा।।

22. रूक गए हाँथ जब भी मैंने कलम उठाई अपनी लकीर बड़ी करने के लिए।
      तेरी मासूमि से खिंची लकीर नज़र आ गई मुझको।।

23. साल बदलता है हालात नहीं बदलते।
      सरकार बदलती है हुक्मरान नहीं बदलते।।

24. गम ख़ुशी,पाना खोना,नफा नुकसान सब ऒस की बूंदों से लगने लगे।
      एक बार खुद को ढूँढने जो निकला मै शिद्द्त से ।।

25. क़त्लग़ाह बन गया है ये शहर।
      अब मौत यहाँ हादसा नहीं होती।।

26. दिल का दर्द आँखों का फ़साना,न मै समझा पाया न तूने ही जाना।
      फिर रात भर चलेगा आज,मेरे गम का तराना।।

27. तेरी आँखों का दर्द मेरे दिल में दिख गया होता।
      अगर तूने मुझे अपना समझा होता।।

28. क्या क्या याद करूँ ,क्या क्या भूलूँ मैं।
      अच्छा है चुप हो जाऊं,फिर सब कुछ सह लूं मैं।।

29. तमाम उम्र वो लड़ता रहा तुझे रुसवाईयों से बचाने के लिए।
       जिसे रुसवा करके तू जशन मना रहा है।।

30. अजीब शहर है ये, अजीब लोग हैं यहाँ।
       इस शहर में अक्सर साँस लेते मुर्दे मिल जाते हैं हमें।।


धन्यवाद,
अरुण कुमार तिवारी 










Thursday, February 14, 2013


आज से ही नहीं शुरू किया तो बहुत देर हो जाएगी

पता नहीं चुनाव आते ही या तो हमारी याददास्त कमज़ोर हो जाती है या तो मतिभ्रष्ट शायद तभी असामाजिक ,अनैतिक ,राष्ट्र विरोधी लोग सत्ता में आ जाते हैं।

           मैं आग्रह करना चाहूँगा भा.ज.पा से अपनी अन्दर की लड़ाई,बडबोलेपन और Over confidence से बाहर आयें वर्ना 2009 का इतिहास फिर दोहरा दिया जायेगा।शहरों की आबादी  TV Debate,न्यूज़ से पूरी जानकारी और उसके दूरगामी परिणाम जान के UPA के बेईमानी,धोखेबाजी के इतिहास को जानने समझने लगे हैं शायद इसका फायदा Anti UPA  को हो,पर एक बात तो तय है शहर का वोटर भा.ज.पा और आ आ प (AAP) में बंट कर रह जायेगा,UPA का जो जनाधार खिसकेगा वो बंट जायेगा,भा.ज.पा और आ आ प (AAP)के वोट विभाजन का फायदा UPA को ही मिलेगा इसे हमें ध्यान में रखना चाहिए।शायद कल  भा.ज.पा और आ आ प (AAP), UPA विरोध के नाम पर हाँथ भी मिला लें पर ये फैसला भा.ज.पा के लिए आत्मघाती ही होगा।क्यूंकि आ आ प(AAP) के कुछ पदधिकरिओं को नितीश कुमार वाली बीमारी है,झूठे सेकुलरिज्म वाली खुजली है,जिससे आने वाले समय में Black Mailing की जमीन ही खड़ी होगी और कुछ नहीं।

         प्रधानमंत्री की लड़ाई भी एक अहम् मुद्दा बनने वाली है।अडवाणी जी का शायद जिन्ना वाला बयान ही लोगों को याद है(या शायद किसी कारन वश याद दिलाया जाता है),जिस कारन लोग उनसे किनारा कर रहे हैं।मैं उनके उस बयान की ज्यादा गहराई में नहीं जाऊंगा,मैं भी यही मानता हूँ की जिन्ना मूल रूप से सेक्युलर ही था पर लालच वश जरूर कटर्रता दिखाता था।हमें एक बात का ध्यान और रखना चाहिए वो बयान पाकिस्तान में दिया गया था।मोदीजी (जो की मेरी भी पसंद हैं) निसंदेह  प्रधानमंत्री पद के प्रबल और काबिल दावेदार हैं ,पर एक चीज हमें जान लेनी चाहिए,अगर किसी व्यक्ति या परिस्थति की वजह से पार्टी में वो स्थति आ जाये जिससे बिखरने का खतरा हो तो उसपे फैसले को लेने के लिए सही समय और परिस्थति का इंतजार करना बुद्धिमानी होता है।आज की तारीख में मोदी जी के आने से निसंदेह भा.ज.पा के एक बड़े तबके में असहजता आ सकती है (भगवान ऐसे लोगों को सदबुद्धि दे क्यूंकि ऐसी परिस्थति में देश का अहित ही होगा),साथ ही मैं NDA के समझदार नेताओं से समझदारी की आशा रखता हूँ बचपने की नहीं।

       अब मैं अपनी पहली बात को आगे विस्तार देता हूँ केंद्र की सत्ता मेट्रो,कैपिटल्स या बड़े शहरों से तो निकल के नहीं आएगी,उसके लिए गाँव की तरफ मुड़ना पड़ेगा।जो शायद भा.ज.पा ने आज कल छोड़ दिया है,ये जान लीजिये चुनाव चाहे 2013 के अंत में हों या 2014 में भा.ज.पा को गाँव गाँव घूमना पड़ेगा,6 लाख गाँव हैं आज से ही नहीं शुरू किया तो बहुत देर हो जाएगी।

      अधिकतर गाँव के लोग इन 100+ घोटालों का तथ्यात्मक सच नहीं जानते,उन्होंने अगर इनके बारे में सुना है तो भी इसकी गंभीरता और इस्ससे पड़ने वाले उनकी जिंदगी के असर को नहीं समझते,उन्हें बढती महंगाई याद दिलानी होगी,समझाना होगा Corruption से गया धन कैसे उनकी प्रगति का बाधक है और उनकी गरीबी का कारन।मुददे और भी उन्हें समझाए जा सकते हैं भा.ज.पा इस में सक्षम है ऐसा मैं आशा करता हूँ।

      देश की सेवा करते हुए सत्ता में आने के लिए, 2014 जीतने के लिए गावों कस्बो की तरफ मुड़ो ,अपने छेत्रिय नेताओं जो की VIP के भी VIP हो गए हैं,कुत्ते बिल्ली की लड़ाई में व्यस्त हैं,उनके कान पे बजाएं,उन्हें नींद से जगाएं।अभी काम बहुत बाकि है इस लिए खुद भी जागिये और पार्टी कैडर को भी जगाइए।

बस एक ही अनुरोध है "आज से ही नहीं शुरू किया तो बहुत देर हो जाएगी" 


धन्यवाद्

अरुण कुमार तिवारी



    
      

Thursday, February 7, 2013

जब बुराई से बाज़ नहीं आते हैं लोग


जब बुराई से बाज़ नहीं आते हैं लोग


जब बुराई से बाज़ नहीं आते हैं लोग,
फिर क्यूँ चेहरे को अपने छुपाते हैं लोग।
गलतियाँ करके क्यूँ पछताते हैं लोग,
जब बुराई से बाज़ नहीं आते हैं लोग।।

पाप करके भी देखो मुस्कुराते हैं लोग,
अपने अपनों को गैर क्यूँ बनाते हैं लोग।
हवा जिस ऒर की बहे बह जाते हैं लोग,
झूटे वादे तो फिर भी किये जाते हैं लोग।।

अपनों के दर्द का सबब नहीं जानते हैं लोग,
गैरों के दर्द पे भी मुस्कराते हैं लोग।
इस से बढ़ के क्या ढाएंगे सितम यहाँ लोग,
भूंखे बच्चे की रोटी छीन जाते हैं लोग।।  

धन्यवाद 
अरुण कुमार तिवारी

Ancestors & Descendant of Bhagwan Ram


Ancestors & Descendant of Bhagwan Ram 
(Bhagwan Ram at Number 64)

1.  Manu
2.  Iksvaku
3.  Vikuksi-Sasada
4.  Kakutstha
5.  Anenas
6.  Prithu
7.  Vistarasva
8.  Ardra
9.  Yuvanasva (I)
10.  Sravasta
11.  Brihadasva
12.  Kuvalasva
13.  Drdhasva
14.  Pramoda
15.  Haryasva (I)
16.  Nikumba
17.  Samhatasva
18.  Akrsasva
19.  Prasenajit
20.  Yuvanasva (II)
21.  Mandhatr
22.  Purukutsa
23.  Trasadsyu
24.  Sambhuta
25.  Anaranya
26.  Trasadsva
27.  Haryasva (II)
28.  Vasumata
29.  Tridhanvan
30.  Trayyaruna
31.  Trishanku
32.  Satyavrata
33.  Hariscandra
34.  Rohita
35.  Harita, Cancu
36.  Vijaya
37.  Ruruka
38.  Vrka
39.  Bahu (Asita)
40.  Sagara
41.  Asamanjas
42.  Amsumant
43.  Dilipa (I)
44.  Bhagiratha
45.  Sruta
46.  Nabhaga
47.  Amabarisa
48.   Sindhudvipa
49.  Ayutayus
50.  Rtuparna
51.  Sarvakama
52.  Sudasa
53.  Mitrasaha
54.  Asmaka
55.  Mulaka
56.  Sataratha
57.  Aidavida
58.  Visvasaha (I)
59.  Dilipa (II)
60.  Dirghabahu
61.  Raghu
62.  Aja
63.  Dasaratha
64.  Ram
65.  Kusa
66.  Atithi
67.  Nisadha
68.  Nala
69.  Nabhas
70.  Pundarika
71.  Ksemadhan
72.  Devanika
73.  Ahinagu
74.  Paripatra
75.  Bala
76.  Uktha
77.  Vajranabha
78.  Sankhan
79.  Vyusitasva
80.  Visvasaha (II)
81.  Hiranyabha
82.  Pusya
83.  Dhruvansan
84.  Sudarsana
85.  Agnivarna
86.  Sighra
87.  Maru
88.  Prasusruta
89.  Susandhi
90.  Amarsa
91.  Mahashwat
92.  Visrutavant
93.  Brihadbala
94.  Brihatksaya


Jai Shri Ram