Tuesday, December 17, 2013

कुछ मुक्तक कुछ शेर {भाग त्रयो दश(XIII)}


कुछ मुक्तक कुछ शेर {भाग त्रयो दश(XIII)}




21. वो गुम्बदों मीनारों में खोज रहा था शहर कि पहचान।
      मैं वो धागा तलाश रहा था जिसने ये शहर बाँध रखा है।। 

1 . पेंड दुआ मांग रहा था,कुछ टहनिओं के सूख जाने कि।
     जब सर्दी में एक लाचार माँ फटी साडी से बच्चा ढांक रही थी।।

2 . ये शहर भी अजीब है यारों,कुछ अजीब ही ढंग है इसके ।
     सच को चुप रहने कि आदत है, झूट चिल्ला के अपना पता बताता है।।

3 . तेरा ये शहर फिर कैंचिआं हाँथ में लिए अफ़सोस करेगा।
     हमने परों को छोड़ हौसलों से उड़ना सीख लिया है।। 

4 . वो बार बार पूँछ रहा था ज़िंदगी का ठिकाना।
     मैंने शमशान कि ओर जाने का रास्ता दिखा दिया।।

5 . यूँ तो इतिहास खुद को दोहराता है।
     समझदार वो जो इतिहास कि गलतियां नहीं दोहराता है।।

6 . मैं तेरे वतन का हूँ,तुझ सा नहीं हूँ मैं।
     तेरे वतन कि जमीं मुझे आज भी बेटा ही कहती है।।

7 . पंछी भी पहचानते हैं छत्त शिकारी की ।
     सियासतदानों कि छत पे भूँखा कबूतर अब नहीं जाता।। 

8 . लगा दे शहर के बाकि बचे सब इलज़ाम भी मेरे माथे पर।
     बस इस शहर की मासूमियत को और न बदनाम कर।।

9 . मैं लड़ रहा था जहाँ से के तू मुझ में बसा है।
     तू लड़ रहा था जहाँ से के तू मेरे आस पास है।।

10. जवानी गुम हुई जाती है खुद कि मसतिओं में।
      बुढापा फिर मशाले रौशनी लिए तख्ते फांसी चूमने चला है।।

11. समझौती अब इतने भी नहीं करता।
      कि आईना देखूं तो खुद को भी पहचान न सकूँ।।

12. आज जो लगा रहे हो मेरे सर कि कीमत,कल जब झुकाओगे।
      अपना सर मेरे क़दमों पे,गले लगाऊंगा सर तुम्हारा झुकने नहीं दूंगा ऐ दोस्त।।

13. बस गया है बगावती खून उसकी नस नस में। 
      जब झूठ नही मिलता सच से बगावत कर लेता है वो यारों।।

14. सच लिख लिख के थक जाता हूँ,पर सत्य व्यर्थ नहीं जायेगा।
      ये बात और है किताबे झूठ के खरीदार शहर में ज्यादा हैं।।

15. मैं लिख लिख के बागी हो गया,वो पढ़ पढ़ के कायर हो गया।
      या तो मैं दास्तान नहीं लिख पाया,या फिर वो आज भी अफसानों में जीता है।।

16. कच्ची मिटटी से बनाते है शहीदों कि मज़ारे सियासतदां।
      आसान होता है गिरा के उसको रास्ता बनाके दुस्मनों कि बाँहों में जाने का।।

17. सच बेचना है तो मैखाने में आजा पगले।
      मस्जिद में तो आजकल खुदा बिकता है।।

18. मीर बाक़ी को लिए अपने ज़ेहन में। 
      घूमते देखें हैं हमने मीर ज़ाफ़र सियासत के शहर में।।

19. वो तोड़ रहा था मंदिर,मस्ज़िद बनाने के वास्ते।
      हरकते देख कर उसकी,खुदा रो पड़ा राम के चरणो में बैठ कर।।

20. क्यूँ न हो हुक्मरानों को सर कलम करने कि आदत। 
      शहर जब उन से मिलता है,झुका के गर्दन ही मिलता है।।

धन्यवाद,
अरुण कुमार तिवारी 

Wednesday, December 4, 2013

कुछ मुक्तक कुछ शेर {भाग द्वादश(XII)}

कुछ मुक्तक कुछ शेर {भाग द्वादश(XII)}






21. थक जाती हैं लिख लिख के सच्चाई उँगलियाँ मेरी।
      फाड़ के इतने कागज़, हाथ उसका भी तो दुखता होगा यारों ।।

1  . जिस दिन मुझसे प्यार करोगे,उस दिन मुझसे हो जाओगे।
      आदत काटों कि फिर पड़ जायेगी,फिर काँटों पर ही सो जाओगे।।

2  . रात तुझको दुआ देते गुज़ार देता है। 
      तू जिसको दिनभर बद दुआ देता है नाशुक्रे।।

3  . इतना जान ले नाशुक्रे परदेशी,दीवार पे नन्हे हांथों से जो लकीर तूने कभी खींची थी।
      बूढ़े माँ बाप उसीके सहारे ज़िंदगी काट रहे हैं।।

4  .  ये उसके किरदार कि ही सच्चाई का नतीज़ा था। 
       दरवाज़े को उसके लोगों ने दर बना डाला।।

5  . बीच मझधार में,पतवार नहीं है तो न सही।
      निसछल विस्वास से भी नैया पार लगते हमने देखी है।।

6  . बनते गए रिश्ते,बिगड़ते गए रिश्ते।
      वक्त का सब खेल है,
      सोच छोटी हुई छोटे दायरे में सिमटते गए रिश्ते।।

7  . कोई समझाओ इस एहसान फरामोश को।
      अपनी पे आ जायें तो रुख आंधिओं का भी मोड़ देते हैं हमलोग।।

8  . अगर तुम्हारी बात को आधार है सत्य का,तो फांसी लगा दो मुझको।
      यूँ इलज़ाम लगाना और भाग जाना नहीं होता अच्छा।।

9  . सिर्फ सर पे ताज देख कर सर झुकाने वालों।
      बेताज ही अक्सर होते हैं दुनिया के रहनुमा ज़माने में।। 

10. आँख कि शर्म बहुत ज़रूरी है इस शहर में यारों।
      ये शहरे हिन्दोस्तान है,जबां से कभी कभी,नज़रों से अक्सर आदाब पढता है।।

11. बदमाशों-गुनहगारों के नाम "शरीफ़" होने लगे। 
      जनाज़ा-ए शराफत धूम से निकालने कि तैयारी है यारों।।

12. सिहरन तो होनी ही थी उसकी बातों से।
      वो सच बोलता है आँखों में आँखे डाल के।।

13. रुख हवाओं का बता देती है पहली पुरवाई ही।
      फसल किसान बहुत सोच समझ के बोता है।।

14. बिन परों के मासूम परिंदे निकले हैं सफ़र पे।
      लोमडिओं से इस शहर को आज बचा लो यारों।।

15. जानता हूँ बाज़ार सियासत का बहुत जल्द गरम होगा।
      आम चीज़े "आप" कुछ खास दामों पे बेचते नज़र आयेंगे।।

16. आम अब खास हो रहे हैं,ये सियासत है दोस्तों।
      रंजिस नहीं ये दिल का दर्द है,संभल के ऐतबार करना यारों।।

17. सारी आदकारियां करता है वो हुक्मरानो कि।
      और फ़कीर होने का दावा भी करता है।।

18. अब तो बंद कर यहाँ आना मौलवी,मेरा सब्र्र अब जाता है।
      तू जब भी मस्ज़िद मे आता है खुदा न जाने कहाँ चला जाता है।।

19. बचा के लाया हूँ खुदा को मौलवी के हांथों से मस्ज़िद से।
      अब मैं काफिर हूँ या खुदा है काफिर फैसला नमाज़ी को करने दो यारों।।

20. मैं काफिर हूँ ,खुदा मुझ से सीधे बात करता है।
      कल बता रहा था वो मुझको,ऐ नमाज़ी वो तुझसे बहुत डरता है।।



धन्यवाद,
अरुण कुमार तिवारी 


Monday, November 25, 2013

Political Stupidity at it's Best (Part1)


Think Before U Go to cast your Vote This Time



Political Stupidity at it's Best (Part1)



1.  “Poverty is a state of mind.” – Rahul Gandhi
 
2.  “One can have a full meal for Rs 12 in Mumbai. No, no, not vada paav. So much of rice, daal saambhar and with that some vegetables are also mixed.” Congress spokesperson Raj Babbar
 
 
3.  "You can eat a meal in Delhi for Rs 5, I don't know about Mumbai. You can get a meal for Rs 5 near Jama Masjid (in Delhi)," Rasheed Masood
 
4.  "If you want, you can fill your stomach for Re 1 or Rs 100, depending on what you want to eat. We are working to change the life of the poor so they can eat well be healthy and India can progress.” Union Minister Farooq Abdullah
 
5.  “People join (the) army to die or for becoming martyrs.” Rural works and Panchayati Raj Minister Bhim Singh
 
6.  "Veg skies, Veg hospitals, Veg housing societies. Soon Veg Mumbai! Either Gujjus go back to Gujarat or they turn Mumbai into Gujarat...Red alert." Nitesh Rane’s
 
7.  If there is no water in the dam, how can we release it? Should we urinate into it? If there is no water to drink, even urination is not possible," Maharashtra state deputy chief minister Ajit Pawar
 
8.  "We have told the chief minister in the assembly that the government will pay money to compensate rape victims. What is your fee? If you are raped, what will be your fee?" CPI (M) party member Anisur Rehman takes a very cheap dig at West Bengal chief minister Mamata Banerjee
 
9.  “Roads in Pratapgarh district in the state would be constructed like the cheeks of actresses Hema Malini and Madhuri Dixit.” Uttar Pradesh Khadi and Village Industry Minister Raja Ram Pandey
 
10. What's basically happening in Delhi is a lot like Egypt or elsewhere, where there's something called the Pink Revolution, which has very little connection with ground realities. In India, staging candle-lit marches, going to discotheques - we did all this during our student life too, we were students too - I know every well what kind of character students should have. Those who claim to be students - I can see many beautiful women among them - highly dented-painted - they're giving interviews on TV, they've brought their children to show them the scenes. I have grave doubts whether they're students, because women of that age are generally not students." -Abhijit Mukherjee
 
11."Marry off girls early to prevent rape".  Mr. Chautala
 
12."One of the reasons behind the increase in incidents of eve-teasing is short dresses and short skirts worn by women. This in turn instigates young men." said Chiranjeet Chakraborty –
 
13. "To my understanding, consumption of fast food contributes to such incidents. Chowmein leads to hormonal imbalance evoking an urge to indulge in such acts." Jitender Chhatar
 
14."Just because India achieved freedom at midnight does not mean that women can venture out after dark", said Botsa Satyanarayana, Congress chief of Andhra Pradesh.
 
15.              "Not an intelligence failure' - P Chidambaram 
 
16."We will stop 99 per cent of the attacks. But one per cent of attacks might get through and that is what I am saying." - Rahul Gandhi 
 
17."Maharashtra crime rate has increased in the last 10 years. Examine from where the people perpetrating the crimes come from. We have blamed police and intelligence enough in all these years, now it is time to check on the migrants." - Raj Thackeray 
 
18."India is better than Pakistan where blasts take place every day, every week.” - Digvijay Singh
 
19."Terrorists had the advantage of surprise" - Manmohan Singh 
 
20."For how long would UP youths go and beg in Maharashtra" Rahul Gandhi
 
21."The reasons that we understand are the huge migratory populations and the porous borders."Sheila Dikshit
 
22. "If we send industrialists to jail, we would be discouraging investment." Salman Khurshid
 
23."I'm in touch with Pakistan authorities and would ask for leniency."SM Krishna
 
24. "There was zero loss to the exchequer from the 2G allocation."Kapil Sibal
 
25."One should not be adventurous being a woman."Sheila Dikshit
 
26."Don't give mobile phones to children, especially girls. I say this at all the places where I make my speeches. And if any of these kids have a mobile, take them away. What are they missing anyway? What are the girls missing without mobile?"Rajpal Singh Saini 

27. Our internal investigation has checked and found nothing wrong-Kejriwal

28. It's only four days of your entry into politics and you have become a political analyst. Aap toh TV pe thumke lagati thi, aaj chunavi vishleshak ban gayi (you were shaking your hips on Tv, and now you have become a psephologist).’’ Sanjay Nirupam

29.`“Only women from the affluent classes can get ahead in life, but remember you rural women will never get a chance because you are not that attractive.’’Mulayam Singh Yadav

30.Arvind Kejriwal is like Rakhi Sawant. They both try and expose but with no substance. Digvijay Singh

31."Guddi buddhi zhali pan akal aali nahi." (Guddi has grown old but has not attained wisdom with age) Raj Thakrey

32,"“As time passes, the joy of the victory fades, just like a wife becomes old and loses her charm"Sriprakash Jaiswal

33. "Listen carefully sister, this is a serious matter. This is not a filmy subject." Shinde

34.‘‘par kati auratein’ (women with short hair) Sharad Yadav

35. "First Right on Resources to Muslim" Manmohan Singh

36."Why was she Roaming in night" Sheela Dikshit

37. "This is not my Duty" Sheela Dikshit

38. "Every one is thief" Kejriwal

39. Our Members are Clean " Kejriwal

  
40. "Rani ki Jhansi" Rahul Gandhi

Tuesday, November 5, 2013

कुछ मुक्तक कुछ शेर {भाग एकादश(XI)}

अरुण कुमार तिवारी 




21 . सच बोलता है वो,करके पीठ सच कि ओर।
       और ये भी चाहता है,भरोसा करुँ उस पे मैं।।

1  . सियासत भी अजीब वहशी खेल है यारों। 
      किसी को बदज़ुबां कर देती है, किसी को बेज़ुबां।।

2  . बेवजह धर्म को बदनाम न कर,धर्म नहीं डुबोता सियासत को।
      किसीकी हटधर्मी डुबाती है,किसीकी बेधर्मी डुबाती है।।

3  . मौत तो मौत,इक दिन जिंदगी भी छोड़ देगी जिस्म को।
      खूबसूरती अंदर कि दोनों जहाँ में तेरे ढिकाने का पता बताती है।।

4  . तू चाह के भी समझा उसे नहीं पायेगा।
      तू दिल से बोलता है,वो दिमाग से सुनता है बातें।।

5  . बहुत अलग है दुनिया तेरी दुनिया से मेरी।
      एक मेरी दुनिया है जिसमे तू ही तू है,एक तेरी है जिसमे तू ही तू है।।

6  . सच है के आँखों में आंसू लेके ज़िंदगी नहीं चलती।
      पर आँखों का पानी मर जाये तो भी तो ज़िंदगी बेमानी हो जायेगी।।

7  . कहने से पहले समझ जाती है वो सब बातें।
      उस्से मोहब्बत नहीं करता तो और क्या करता।।

8  . क्या वक्त आ गया है,आस्तीन के सांप बताने लगे हैं हमें।
      वफ़ा कैसे निभाई और बेवफाई क्या होती है यारों।।

9  . शहर यूं ही खामोश नहीं हो गया है यारों।
      जख्म बहुत गहरा दिया है हुक्मरानों ने इसको।।

10 . जिन्दगी मिलती है एक बार,मुसाफिर पडाव को मंजिल न बना।
       बेख़ौफ़ ले जा नैया समुन्दर में,डर के नैया का घर साहिल न बना।।

11 . हज़ारों फ़रिश्ते लड़ रहे है चूमने को उँगलियाँ उसकी।
       वो भूंखी बच्ची,बीमार माँ को अपनी रोटी खिलाके फिर काम पे आई है।।

12 . पंडित न धुत्कार उसको,उसके छूने से बढ़ जायेगी रौनक तेरे मंदिर कि।
       माँ कि रात कि एक रोटी के लिए वो दिन भर फूल चुनती है।।

13 . सफ़र खुद दिखा देगा अपने परायों का चेहरा।
       किसी अपने चेहरे के इंतज़ार में ज़िंदगी बर्बाद न कर।।

14 . उन्हें गुरुर है कि वो काटने का हुनर रखते हैं।
       वो जानते ही नहीं हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं।।

15 . नाखुदा कुछ इस तरह लड़ता रहा उम्र भर लहरों से।
       कि जब वो समुन्दर में नहीं आता लहरें उदास होती हैं।।

16 . नैया तू पतवार भी तू है,मुसाफिर तू नाखुदा भी तू है।
       थाम के चल सच्चाई कि डगर,इबादत तू खुदा भी तू है।।

17 . वतन के नौजवां कभी शिद्दत से देखो आसमां कि तरफ। 
       आज़ाद भगत बोस तुम्हारी बुज़दिली पे रोते हैं।।

18 . सुन्ना नया इतिहास है ,पढ़ना नया इतिहास है,वक्त आ गया है ,जाग ऐ वीर तू ।
       थाम ले सच्चाई कि मशाल ,बनाना तुझे नया इतिहास है।।

19 . धार दो तलवार को,काटने हैं इसबार कई धड यारों।
       वक्त फैसले का आ रहा है,इस बार रण प्रचंड होगा।।

20 . टोपीओं में कुछ तो खाश धागा लगा है यारों।
       जो भी पहनता है गद्दार-ए-वतन हो जाता है।।

धन्यवाद,
अरुण कुमार तिवारी 


Wednesday, October 30, 2013

सुबह दूर सही पर सुबह होगी ज़रूर

सुबह दूर सही पर सुबह होगी ज़रूर

Sardar patel (cropped).jpg

धार तो तलवार को,काटने हैं इसबार कई धड यारों।
वक्त फैसले का आ रहा है,इस बार रण प्रचंड होगा।।

सनातन धर्म कि शिक्षा है "सच्चाई और अच्छाई कभी बर्बाद नहीं जाती,आज नहीं तो कल लोग उसको पहचानते हैं" पिछले तीन चार दिन से जो हो रहा है वो इसकी सार्थकता सिद्ध करते है, धूर्त नेहरू और उसके परिवार वालों ने 65 सालों से हर उस वीर ,सच्चे धरती माँ के सपूत को नकार दिया जो उन कि राह का रोड़ा था।फिर चाहे वो पटेल हों ,बोस हों,राजेंदर प्रसाद हों,पुरुषोत्तम लाल टंडन हों या लाल बहादुर शाश्त्री हों।

इतिहास में एक और बड़ी शक्ति है आप उसे कुछ समय के लिए दबा तो सकते हैं पर बहुत देर तक छुपा नहीं सकते। हिंदुस्तान में पिछले 15 - 20 सालों से जो हो रहा है शायद वो ये ही दर्शाता है। बड़ी संख्या में लोग मकौले और कम्युनिस्ट इतिहासकारों द्वारा जान बूझ कर पढ़ाये जा रहे झूठे इतिहास को पहचानने लगे हैं,और सच्चे इतिहास कि खोज,अध्यन मनन करने लगे हैं।


नतीजा सामने है छद्दम सेक्युलर वादिओं ,धूर्त मीडिया और ढोंगी राजनेताओं के दिल घबराने लगे हैं,झूंट कि बुनियाद पे बने उनके महल अब ढहने लगे हैं।गिद्धों को अब अपने पर कटने का डर सताने लगा है।इस छटपटाहट में अब वो ऐसी ऐसी हरकत करने लगे हैं कि उनके हमाम के दरवाज़े अब लोगों के सामने धीरे धीरे खुलने लगे हैं।


सरदार पटेल के जनम दिवस दिवस पर उन्हें सादर कोटि कोटि प्रणाम,ये उस लौह पुरुष कि ही शक्ति है की इतने वर्षों के बाद जब उनका जिक्र आया तो लोगों को कांग्रेस और धूर्त नेहरू परिवार का सच एक एक कर बाहर आने लगा है,फिर चाहे वो नेहरू का 55 में और इंदिरा का 71 में खुद को भारत रत्न देना हो, या फिर नेहरू का कश्मीर का अमन चैन बर्बाद करना,चीन का कलेश,इंदिरा का लोकतंत्र का क़त्ल या राजीव का निर्दोष सिखों का क़त्ल  सब पे से धीरे धीरे पर्दा उठने लहगा है।


ये दुर्भाग्य ही है कि इतनी सच्चाईओं के खुलासे के बाद भी लोगों को धूर्त कांग्रेसिओं जयचंद मुलायम,नितीश,मायावती,कम्युनिस्ट,अरविन्द केजरीवाल ,लालू,पासवान इत्यादि का दोगला पन और माँ भारती के प्रति अनादर भाव नहीं दिख पा रहा।


पर मुझे आशा है जिस तरह "सच्चाई और अच्छाई कभी बर्बाद नहीं जाती,आज नहीं तो कल लोग उसको पहचानते हैं" उसी तरह "बुराई  और धूर्तपन ज्यादा देर तक छुप नहीं पायेगा "


जनता जागेगी एक दिन सुबह दूर सही पर सुबह होगी ज़रूर।


सुन्ना नया इतिहास है ,पढ़ना नया इतिहास है 
वक्त आ गया है ,जाग ऐ वीर तू 
थाम ले सच्चाई कि मशाल ,
बनाना तुझे नया इतिहास है।   

धन्यवाद,

अरुण कुमार तिवारी   





          

Wednesday, October 23, 2013

कुछ मुक्तक कुछ शेर {भाग दस(X)}




अरुण कुमार तिवारी 


21 . तेरे आगे चलना मजबूरी है मेरी । 
      जो मैं न चला, तेरे पथ के कांटे कौन हटायेगा।।

1  . उस ने जब भी हाथ बढाया,सर को झुका दिया।
      मै उसकी नीयत पे ऐतबार न करता तो और क्या करता।। 

2  . देने लेने की सार्थकता का मान रख लिया आँखों ने ।
      याचक की झुकी नज़रें देख दाता ने झुका ली आँखें।।

3  . ग़र सच बुरा लगता है तो लग जाये। 
      मै आइना हूँ ,मेरा काम नहीं तस्वीर बनाना।।

4  . तू बार बार मुझको पाने की आरज़ू ना पाल। 
      मेरा तो वजूद ही बना था खुद को खोने के बाद।।

5  .  बुलंदियां छूके आसमानों की न इतरा इतना।
       जिसकी गॊद में बैठ कर सबसे पहले आसमां छुआ,
       वो माँ आज भी तेरा इंतजार करती है।।

6  . बस इतना बतादे मौलवी,जो बकरा कल कटा था। 
      क्या उसकी फ़रियाद नहीं सुनता खुदा तेरा।।

7  . बस यही दिक्कत है इस पढ़े लिखे शहर में । 
      सच की गोली लेते हैं झूंठ के पानी के साथ।।

8  . इस शहर को अपनी सच्चाई का बता कैसे चले यार। 
      हर एक शक्श घूमता है आइना लिए उल्टा यहाँ ।।

9  . आँखों ने जब भी गिराना चाहा,पलकों ने थाम लिया।
      राज़ समुन्दर बीच मोती का अब जानने लगा हूँ।।

10. कुछ सीधी कुछ उलटी माला जप रहे हैं उसके नाम की।
      उसको अब न रोक पाओगे,बड़ी मेहनत से वो सिंघासन का हकदार बना है।।

11. इस कदर भी न मोहब्बत को बदनाम कर। 
      मोहब्बत में सूली पे "चढ़ा" नहीं, दिल में "उतरा" जाता है।।

12. कितनी मासूम है उसकी ज़िम्मेदारियां।
      भूंखी है उसके लिए,जिसकी वजह से लाचार है।।

13.  दबंगों के बलबूते चल रही सिआसत। 
       और कितनी बदरंग होगी सिआसत।।

14. मुसलसल ईमान का सौदा करता रहा ताउम्र जो । 
      आज वो सच्चा मुस्लमान होने का दावा करता है।।

15. नया रिश्ता बनाने से पहले रो लो या हंस लो,मगर दिल खोल के।
      भारी दिल,दिमाग की लालच किसी भी रिश्ते को दूर तलक जाने नहीं देती।।

16. तस्वीरें लगा रहा है गली-गली में,शहर भर में अपनी। 
      जो कहता था "मेरी कोशिश है ये की सूरत बदलनी चाहिए।।

17. कुछ रुलाते हैं उसको,कुछ मज़ाक बना रहे हैं उसको।
      लाल्चे सियासत "आम आदमी" का खूब इस्तमाल करती है।।

18. ये दुनिया है इसे आज नहीं तो कल तू छोड़ेगा ।
      सवाल ये है अतीत की सच्चाई को कब खुद से,खुद को कब भाविष्य से जोड़ेगा।।

19. ये दुनिया आइयारों की हो गई है यारों।
      खूबसूरत आँखों के आंसू पोंछते हैं लाखों,
      खूबसूरत दिल के आंसू कोई नहीं पोंछता है।।

20. हो गर मजबूरी तो कभी कभी झुका जाता है ।
      मगर जितना तुम झुके हो,उतना भी नहीं झुका जाता है ।।


धन्यवाद,
अरुण कुमार तिवारी 

Wednesday, October 9, 2013

कुछ मुक्तक कुछ शेर {भाग नौ (IX)}





21. दो हांथों से चार कांधों का ही तो होता है सफ़र। 
      तरीका सफ़र का तय करता है मंज़िल तेरी।।


1 . बहुत बदनाम हूँ,न मुझसे इतनी नजदीकियाँ बड़ा। 
     पह्चानने लगेगे लोग तुझे मेरे ही नाम से ।।

2 . कंधों पे लाश,शरहद पे लाश,गोद में भी लाश है।
     भगवान बस बता दे इतना शहार में लाश है,या ये लाशों का शहर है।।

3 . उँगलीऑं को मुट्ठी बनाने वक्त है,भीड़ को देश बनाने वक्त है।
     वक्त आ गया है सोये ज़ामीर,बहरी सरकार को जगाने का वक्त है।।

4 . जब तेरा हर शब्द शिद्दत से तेरे वजूद की गवाही देगा।
     तेरी शक्शियत फिर किसी पहचान की मोहताज़ न होगी।।

5 . ख़त्म कर दोगे गर सारे प्रतिद्वन्द्वी । 
     चिराग फिर हवा से लड़ने का हुनर किस्से सीखेगा।।

6 . वक्त आ गया है जूतियां मारो मियायोँ के सर पे एक दो।
     टोपियां बहुत सस्ती हो गईं हैं मियायोँ के सर् की आज।।

7 . वक्त आ गया है सीखो हुनर तलवार बाज़ी का। 
     हुनर ताली बजाने का तुम्हे "बीच वालों" की जमात का बना देगा।।

8 . इलज़ाम लगा के कीमत बता रहा था वो हर एक की।
     वही जो खड़ा है बाज़ार में सबसे आगे बिकने को।।

9 . आँखों को सिर्फ सुरूर देती है शराब।
     बाकि सबका अपना अपना मिजाज़ होता है।।

10. इतना आसान नही है सांसों का सांसों में घुल्ना।
      इक उमर लग जाती है खुद को मिटाने में ।।

11. कैसे गुनाहगार कहूँ उसको मैं इस जुदाई का। 
      मेरी नज़र उसकी कमिओं पे कभी गई ही नहीं।। 

12. छोड़ दो अकेला चाँद को आज,बेबसी के आँसू रो रहा है वो।
      कल एक बूढ़ा उसीकी बाँहों में दुनिया छोड़ गया था यारों।। 

13. चाह कर भी आइना न तोड़ पाया यारों । 
      अपनी बेबसी हज़ार टुकड़ों में कैसे देखता यारों ।। 

14. मेरे ही शहर में कोई पहचानता नहीं मुझको । 
      ये बात और है के सभी झुक के आदाब करते हैं ।।

15. मार दी गई कोख में,घूम रहे है वहसी सियार बाज़ारों में, 
      कहाँ से लाओगे बेटियाँ पूजन के वास्ते,
      तरस जाओगे एक मासूम सी छुवन के वास्ते।।

16. दर्द वो नहीं जो हमने कहा और आपने सुन लिया। 
      दर्द तो वो जो हम न कह पाए और आप जान गए ।।

17. सितारों को छूने की चाहत मेरी,
      पर जमीं को भी तो छोड सकता नहीं।
      तोड़ सकता हूँ समाज के सारे बंधन,
      पर अपनों के दिलों को तोड़ सकता नहीं।।

18. एक दोस्त ने हक दोस्ती का क्या अदा कर दिया।
      साथ बैठा रहा महफ़िल से तनहा कर दिया।।

19. कोई तो चला जायेगा शहर से।
      या तो जिस्म मेरा या आरज़ू तेरी।।

20. बारी बारी से रूलाने तुझे यै जिंदगी,
      दर्द ,यादें,जज़्बात और एहसास आयेंगे।
      तू किसीका दामन बकड़ के न बैठना कभी,
      इनका तो जब जी चाहेगा चले आयेंगे।।

धन्यवाद,
अरुण कुमार तिवारी 

Thursday, September 26, 2013

कुछ मुक्तक कुछ शेर {भाग आठ(VIII)}


अरुण कुमार तिवारी 


२१.  हम तो खाक हैं,शायर तो और है ।
      हम महज़ एक कतऱा हैं सागर तो और हैं।।  

१.   समुन्दर का जल उस पल मीठा जरूर हो जाता होगा।
      जिस पल लाती है नदी उसमे किसी शहीदे वतन का पैगाम।।  

२.   चन्दन की महक आने लगी है इन्न बासी फूलों से।
      ये मज़ार शहीद की है किसी शहनशाह या खुदा की नहीं।।

३.   जियो तो इस कदर कि,मौत को फक्र हो तुम पर । 
      मरो तो इस शान से कि जिंदगी को भी अफसोस न होने पाए।।

४.   हम लफ़्ज़ों के हेर फेर में जिन्दगी को बयां न कर पाए।
      वो आये सादगी से ख़ामोशी से जिनगी को बयां कर चले।।

५.   हर तरफ एक शोक सा छाया है।
      इंसान इंसानियत से कितना दूर चला आया है।।

६.    कुछ फलसफे होते हैं,कुछ फ़साने होते हैं।
       तनहा रहने के सबके अपने-अपने बहाने होते हैं ।।

७.   पैस को बाँटने वालों,किस्मत को भी क्या बाँट पाओगे।
      ज़मीन का मोल तो दे दोगे,आसमान का मोल क्या लगाओगे।।

८.   तू सर की कीमत दर से लगा,मैं दर की कीमत सर से लगाता हूँ।
       जा झुका हर दर पे सर अपना,मै दर देख कर सर झुकता हूँ।।

९.    राम यूँही राम नहीं कहलाये,स्वाद किसी ने राजभोग़ का पुछा।
       आँख में नीर लिए सबरी के बेर का गुण गान करने लगे।।

१०.  कुछ तसवीरें आज भी अहसास करा देती है।
      बहुत चले हैं पर बहुत चलना है अभी सहर के लिए।।

११.  कितना भी उम्र् दराज़ हो जाये इस कौम का आदमी।
       मोहम्मद बड़ा होने नहीं देता,मौलवी इंसान बन्ने नहीं देगा।।

१२.  बस इसी अहसास ने उस गरीब बाप को बूढ़ा होने न दिया।
       घर में खाने को कुछ नहीं,जवान बेटी कुंवारी बैठी है।। 

१३.  जब तेरे वजूद को मिटाना उसकी मजबूरी बन जाये।
       तो जान लेना तमाम उम्र तू उसूलों पे जिया।।

१४. सारी रात चाँद लोरी सुनाएगा चांदनी सहलाएगी तुझे।
      तडपती धुप में किसि मजबूर के लिए नंगे पैर चलके तो देख।।

१५. कबतक एक ही सवाल पूछते रहोगे,जवाब एक ही देता रहूँगा।
      बहुत दूर नहीं है दिन,सवाल बदल जाएंगे तेरे,मेरा भी जवाब तू ही दे रहा होगा।।

१६. कर रहे गुरबानी का अनादर ये दो सरदार।
      उठ जाग वे जठठा माफ़ न कर इनको इस बार।।

१७. साधू की गति साधू वाली,गति नीच की नीच।
       हो उपवन या हो जीवन सही खाद,स्वच्छ नीर से सींच।।

१८. बदलाव नियम है श्रृष्टि का। 
      जो न बदले वो जड़ हो जाता है।।

१९. अपनी मंज़िल खुद चुनो,अपना रास्ता खुद ही तलाश करो।
      ये ज़िन्दगी नहीं मिलेगी दोबारा,लकीर के फ़कीर बनके इसे न बर्बाद करो।।

२०. कोई आम आदमी का,कोई आम आदमी को मज़ाक बना रहा है यहाँ।
      अपना घर सवारने के लिए कितना करतब किया जा रहा है यहाँ ।।


धन्यवाद,
अरुण कुमार तिवारी