Wednesday, October 23, 2013

कुछ मुक्तक कुछ शेर {भाग दस(X)}




अरुण कुमार तिवारी 


21 . तेरे आगे चलना मजबूरी है मेरी । 
      जो मैं न चला, तेरे पथ के कांटे कौन हटायेगा।।

1  . उस ने जब भी हाथ बढाया,सर को झुका दिया।
      मै उसकी नीयत पे ऐतबार न करता तो और क्या करता।। 

2  . देने लेने की सार्थकता का मान रख लिया आँखों ने ।
      याचक की झुकी नज़रें देख दाता ने झुका ली आँखें।।

3  . ग़र सच बुरा लगता है तो लग जाये। 
      मै आइना हूँ ,मेरा काम नहीं तस्वीर बनाना।।

4  . तू बार बार मुझको पाने की आरज़ू ना पाल। 
      मेरा तो वजूद ही बना था खुद को खोने के बाद।।

5  .  बुलंदियां छूके आसमानों की न इतरा इतना।
       जिसकी गॊद में बैठ कर सबसे पहले आसमां छुआ,
       वो माँ आज भी तेरा इंतजार करती है।।

6  . बस इतना बतादे मौलवी,जो बकरा कल कटा था। 
      क्या उसकी फ़रियाद नहीं सुनता खुदा तेरा।।

7  . बस यही दिक्कत है इस पढ़े लिखे शहर में । 
      सच की गोली लेते हैं झूंठ के पानी के साथ।।

8  . इस शहर को अपनी सच्चाई का बता कैसे चले यार। 
      हर एक शक्श घूमता है आइना लिए उल्टा यहाँ ।।

9  . आँखों ने जब भी गिराना चाहा,पलकों ने थाम लिया।
      राज़ समुन्दर बीच मोती का अब जानने लगा हूँ।।

10. कुछ सीधी कुछ उलटी माला जप रहे हैं उसके नाम की।
      उसको अब न रोक पाओगे,बड़ी मेहनत से वो सिंघासन का हकदार बना है।।

11. इस कदर भी न मोहब्बत को बदनाम कर। 
      मोहब्बत में सूली पे "चढ़ा" नहीं, दिल में "उतरा" जाता है।।

12. कितनी मासूम है उसकी ज़िम्मेदारियां।
      भूंखी है उसके लिए,जिसकी वजह से लाचार है।।

13.  दबंगों के बलबूते चल रही सिआसत। 
       और कितनी बदरंग होगी सिआसत।।

14. मुसलसल ईमान का सौदा करता रहा ताउम्र जो । 
      आज वो सच्चा मुस्लमान होने का दावा करता है।।

15. नया रिश्ता बनाने से पहले रो लो या हंस लो,मगर दिल खोल के।
      भारी दिल,दिमाग की लालच किसी भी रिश्ते को दूर तलक जाने नहीं देती।।

16. तस्वीरें लगा रहा है गली-गली में,शहर भर में अपनी। 
      जो कहता था "मेरी कोशिश है ये की सूरत बदलनी चाहिए।।

17. कुछ रुलाते हैं उसको,कुछ मज़ाक बना रहे हैं उसको।
      लाल्चे सियासत "आम आदमी" का खूब इस्तमाल करती है।।

18. ये दुनिया है इसे आज नहीं तो कल तू छोड़ेगा ।
      सवाल ये है अतीत की सच्चाई को कब खुद से,खुद को कब भाविष्य से जोड़ेगा।।

19. ये दुनिया आइयारों की हो गई है यारों।
      खूबसूरत आँखों के आंसू पोंछते हैं लाखों,
      खूबसूरत दिल के आंसू कोई नहीं पोंछता है।।

20. हो गर मजबूरी तो कभी कभी झुका जाता है ।
      मगर जितना तुम झुके हो,उतना भी नहीं झुका जाता है ।।


धन्यवाद,
अरुण कुमार तिवारी 

2 comments:

  1. The poems are "delicious" and mouth watering that I could not resist translation. See Twitter. I will read later, after dinner!

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  2. Very good job, loved them absolutely. keep writing God bless you!!

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