Friday, August 31, 2012

ज़रुरत आज की



           मैं आज जो लिखने जा रहा हूँ ,वो शायद हम सब के ज़हन में हमेशा रहती है ! पर जिंदगी के ज़दोज़हद में अक्सर नज़रंदाज़ हो जाती हैं ! मेरी बातों से अगर किसी को ठेस पहुंचे तो माफ़ी चाहूँगा !

           सच पूछिया तो  #Coalgate  #2G  #Tatra  #Adarsh  #ParticipatoryNote अदि अदि ... घोटालों  से मन विचलित हो जाता है , ऑंखें गुस्से से लाल हो जाती है और श्री वल्लभभाई पटेल की बात याद आ जाती है! 

    "आपकी अच्छाई आपके मार्ग में बाधक है,इसलिय अपनी आँखों को क्रोध से लाल होने दीजिये ,और  अन्याय का मजबूत हाथों से सामना कीजिय :- श्री वल्लभभाई पटेल"

     पर मैं आज इन महान घोटालों के बारे में नहीं कहूँगा ! "मुझ से न पूँछ केले का स्वाद ,मैंने छिलके खाते बच्चे देखे हैं "! सवाल बहुत सीधा है ,एक लाइन कहीं सुनी थी या शायद गीत का मुखड़ा है :-

         "एक रोटी का सवाल है,जवाब जिसका रोटी हो "
    
     सच मानिये तो इन बड़े घोटालों की काफी हद् तक भनक भी दूर दराज़ के गाँव में पहुंची भी नहीं होगी या अगर पहुंची भी होगी तो उनकी उत्सुकता का कारन तो निश्चित है नहीं होगी !उनके सवाल और उत्सुकता के कारण आज भी मासूम होते हैं !उन की लड़ाई खुद से और सिस्टम से रोज़ दिन में दो बार होती है ,वो दो बार जब घर के चूल्हये जलने का जब वक्त आता है !

     आज भी 80% गाँव की समस्या काम ,खाद ,बीज ,कीटनाशक ,टपकती छत ,महँगी दवाई , अदि छोटी चीजे ही हैं !उसे परेशानी प्रधानमंत्री ,वित्तमंत्री ,राजस्वमंत्रालय से नहीं बल्कि गाँव के प्रधान ,BDO ,लोकल MLA ,लोकल Police ,सरकारी डोक्टर ,बस के किराये से है !आप शायद विस्वास न करें पर आज भी जादातर गावों के छोटे बाज़ारों में 500 का नोट खुलवाना मुश्किल होता है !

ज़मीने सतह पे देखें तो PURA ,NHRM , BHARATNIRMAN ,NSAP ,PMGSY ,RURALHIGINE ,ANGANWADHI  अदि और सबका बाप MANERGA बाबा का पैसे कैसे विभागों के बंदरबांट में बंटता है ये सभी जानते हैं !इन घोटालों का सच कई बार रूह कांपने वाला होता है क्योंकि ये पैसे के अलावा कई बार ज़िन्दगिया भी लेके जाता है!

सवाल है 70 % लोगों को रोज़गार ,खाना ,छत,डॉक्टर और जिंदगी की बुनियादी ज़रूरतें मुहैया करने का ! जिसके बारे में कोई ठोस ओउर लीक प्रूफ कोशिश की जनि चाहिय !

  जहाँ तक बड़े घोटालों का सवाल है चाहे 1.76 lakh Crore या 1.86 Lakh Crore या फिर अरबों रुपया कला धन का हो , सच पूछिया तो अगर ये धन आ भी गया ,जो की मैं भी चाहता हूँ की आये ! होना आम आदमी का कुछ भी नहीं है ! पैसे आते ही Politicians / Beurocrats / High end Dalals की नयी Breed  आ जायेगी जो इसे लूटने और बर्बाद करने का कोई न कोई तरीका ज़रूर इजाद कर लेंगे ! और मीडिया फिर उन्हें मई बाप बना कर उनके गुण गायेगा ,फेंकी हुई बोटियाँ खायेंगे और उनके पाप छुपायेंगे !

अगर इस वक्त किसी चीज़ की सबसे अधिक ज़रुरत है तो वो है Visionary लीडरशिप की और विसिओनर और Executing लीडर की!शायद ज़रुरत है हमें डॉ सुब्रमनियन स्वामी ,नरेंदर मोदी ,अरुण शौरी ,गोविन्दाचार्य ,गुरुमूर्ति ,विनोद राय ,यसवंत सिन्हा ,किरण बेदी ,के पी एस गिल ,उमा भारती जैसे लोगों  की !

       






          

Thursday, August 30, 2012

अंदर झांकें हम


भूमिका या प्रस्तावना बनाये बगैर शुरू करें ,आज जिस समय या वक्त से हम गुज़र रहे हैं ! ऐसा नहीं है की वो नहीं गुज़रेगा ये वक्त भी गुज़र जायेगा !
            
             चीजें निराशाजनक हैं ,चीजें दर्द भरी हैं ,चीजें दिल दिमाग और वजूद को झंक्झोरने वाली हैं पर कुछ उम्मीद की किरण हम हिन्दुस्थनिओ को बचा के रखने की आदत है ,वैसे ही जैसे बीवियों को कुछ न कुछ पैसे बचा के रखने की आदत होती है ,चाहे वो रोज़ हाथ खाली होने की बात कहें ,और फिर वो पैसा आपके मजबूरी के दिनों में काम आ जाता है ! बस ऐसी ही किरण हमने भी बचा के रखी है बहरहाल इसके बारे में फिर कभी विस्तार से लिखूंगा !

             सबसे पहले परिस्थितिओं के सत्य को समझना जरूरी है ! एक बात और हिस्टरी(history) निकली है हिस्तोरिया(historia) से जिसका मतलब होता है फ़क्ट शीट (factsheet)! हमारी मजबूरी रही है कि हमें सुनियोजित तरीके से अपनी सच्ची फ़क्ट शीट (factsheet) या कहें तो इतिहास बताया ही नहीं गया ! पहले मुगलकालीन इतिहासकार फिर अंग्रेजी इतिहासकार बाद मैं मार्क्सिस्ट (marxist) और पगले सेकुलर इतिहासकारों ने पुरातन और सच्चे इतिहास को दबा के या यूं कहें बर्बाद करके रख दिया !

            मुगलकालीन इतिहासकारों की बात मानें तो मुग़ल काल में हमने तरक्की की या यूँ कहें इंसान बनें ,अंग्रेजी इतिहासकारों की मानें तो अंग्रेजो के काल में मार्क्सिस्ट और पगले सेकुलर इतिहासकारों की माने तो ऊपर के दोने आतातायियो (ये जरूर इन्हें मुग़ल या अँगरेज़ कहते हैं ) के काल मैं हालां की सारे गलत हैं ! आतातायि शब्द मैंने जानबूझ के किया है क्यूंकि इसके अलावा और कोई शब्द इस्तमाल हो ही नहीं सकता था!

            कई हजार सालों के इतिहास को इन्होने मुख्या रूप से 2000 साल में समेट के रख दिया! और उस 2000 साल के इतिहास को भी झूठ के पुलिंदें में बंद कर दिया !

    ज्यादा लम्बा ब्लॉग नहीं लिख रहा हूँ क्यूंकि पढने वाले ज्यादातर 140 character के आदि हैं आगे दुसरे ब्लॉग में लिखूंगा !

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