Friday, October 19, 2012

कल मैं रहूँ न रहूँ

कल मैं रहूँ न रहूँ


कुछ तुम न कहो , कुछ हम न कहें ,
रात कट जाये , आँखों ही आँखों में ।
होंठ भी न हिलें , आँख भी नम न हो ,
दर्द बढ़ जाये , बातों ही बातों में ।।

जो कहानी मेरी , ज़बां तेरी हो ,
शम्मा बुझने न पायेगी रातों में ।
मुझ को तुम न मिलो , तो कोई ग़म नहीं ,
पर भुलाना न हमको ,तुम ख्वाबों में ।।

कुछ तुम न कहो , कुछ हम न कहें   ................।।

राह चलना मगर ठोकरों ,से सजग ,
गिरके उठने न पाओगे ,राहों में ।
मौत से भागकर जायेंगे ,हम कहाँ ,
लेगी एक न एक न एक दिन, ये तो बाँहों में ।।

गलतियाँ गर करो , तो बस थोड़ी सी ही ,
दाग लगने न पाए ,दामन में ।
हौसला जब तेरा डगमगाने लगे ,
हौले से आजा , उसकी(भगवान) पनाहों में ।।     


कुछ तुम न कहो , कुछ हम न कहें   ................।।

साधना सच्ची हो , और लगन पक्की हो ,
तू ही तू होगा , सारी फिज़ाओं में ।
कल मैं रहूँ न रहूँ , इसका क्या है पता ,
गूंजेंगे मेरे नगमे ,हवाओं में ।।

कुछ तुम न कहो , कुछ हम न कहें ,
रात कट जाये , आँखों ही आँखों में ।


धन्यवाद 
अरुण कुमार तिवारी 

2 comments:

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