Friday, August 23, 2013

भूँखी माँ की गोद में मरता वो भूँखा बच्चा


(अरुण कुमार तिवारी )











राह पर पड़ा मुर्दा हमको,
ये बता गया ।
आज शरीफ आदमी की 
किस्मत राहू खा गया।।
हर ताकतवर आदमी अपनी गलती का बोझ,
कमज़ोर को थम्हा गया।
डॉक्टर बेटा अनपढ़ बाप को
बाप कहने से कतरा गया।। 


आज शरीफ आदमी की, किस्मत राहू खा गया।।

वो गरीब कुत्ता आज फिर,
राह चलने से घबरा गया।
एक शरीफ कुत्ता था जो कल,
किसी सेठ की मोटर के नीचे आ गया।।
अब शरीफों की बिल्लियाँ भी,
अकेली राह पे नहीं चलतीं।
क्या होगा अगर किसी रईस के कुत्ते का ,
दिल उसपे आ गया।।

आज शरीफ आदमी की, किस्मत राहू खा गया।।

मासूम खरगोश को इक,
भेडिया फिर बहका गया।
दावा के नाम पर एक,
छोटी सी पुडिया पकड़ा गया ।।
वो  पुडिया थी अ जादू 
बाप का सर अस्पताल की चौखट पर टिका गया।।

आज शरीफ आदमी की, किस्मत राहू खा गया।।

गले में किसी नेता का पट्टा लगाये,
जंगले में एक सियार आ गया ।
भोले जानवर तो जानवर शेर की भी
बोलती बंद कव गया।।
चालक लोमड़ी का पति ही अपने को,
उसके सहारे राजा बनवा गया ।।

आज शरीफ आदमी की, किस्मत राहू खा गया।।

सभ्यता के नाम पर, 
असभ्य बनने वालों, 
सत्ता में आने के लिए हर, 
नाज़ायज़ कोसिस करने वालों,
मंत्री की कुर्सी के लिए, 
खून तक बहाने वालों,
भूँखी माँ की गोद में मरता वो भूँखा बच्चा,
आज क्यूँ नहीं तुम्हारी नज़रों 
के सामने आ गया ।।

आज शरीफ आदमी की, किस्मत राहू खा गया।।


धन्यवाद,
अरुण कुमार तिवारी 
    

2 comments:

  1. आज के भारत की यही सच्चाई है जिसे आपने बहुत ही सटीक शब्दों में प्रस्तुत की है ।

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  2. बिलकुल यथार्थवादी कवीता है अरुण जी!

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